Friday, May 16, 2025

Episode 2

जिस्म से रूह तक - एपिसोड 2: नज़दीकियों की मिठास

जिस्म से रूह तक

एपिसोड 2: नज़दीकियों की मिठास





कमरे में ठंडी हवा के बीच दीपक और रिद्धिमा की सांसें धीरे-धीरे ताल में आ रही थीं। दोनों की नज़दीकियाँ, उनकी तन्हाई में ख्वाबों की तरह खिल रही थीं।

दीपक ने रिद्धिमा की आँखों में देखा, उन गहराइयों में डूबने को जी चाहता था। उसने अपनी हथेलियाँ उसके गालों पर रखीं, और नर्माई से उसकी त्वचा को छुआ। उसकी उंगलियाँ जैसे संगीत की तान पर नाच रही हों।

रिद्धिमा ने भी अपनी हाथों से धीरे-धीरे दीपक के कंधों को सहलाया, उस गर्माहट को महसूस करते हुए जो उसके दिल की धड़कन को तेज कर रही थी।

धीरे-धीरे, उन्होंने एक-दूसरे के कपड़ों को उतारना शुरू किया, बिना किसी जल्दबाजी के। हर स्पर्श में प्यार था, हर एहसास में विश्वास। कपड़ों के गिरने के साथ उनके दिल और करीब आ रहे थे।

दीपक ने अपने होंठों को उसके माथे पर रखा, फिर गालों पर, और हर जगह को प्यार से चूमा। उसकी सांसें एक-दूसरे से मिल रही थीं, और इस चुप्पी में भी अनगिनत बातें हो रही थीं।



उसने अपने हाथों से उसके बालों को सहलाया और फिर उसकी गर्दन को प्यार से छुआ। रिद्धिमा ने अपने हाथ उसके सीने पर रखे, उसकी धड़कनों को महसूस किया और उसे करीब खींचा।

धीरे-धीरे वे बिस्तर पर लेटे, बिना कपड़ों के, एक-दूसरे की गर्माहट को महसूस करते हुए। दीपक ने अपनी हथेलियों से उसकी पीठ को सहलाया, हर स्पर्श में प्यार का इज़हार करता हुआ।

“तुम्हारी हर एक साँस में मेरी दुनिया बसती है,” उसने फुसफुसाया।

रिद्धिमा ने भी उसकी गर्दन पर छोटे-छोटे चुम्बन दिए, उसके स्पर्श को अपने भीतर गहरा समेटते हुए। दोनों की आत्माएँ जैसे एक हो गईं थीं।

धीरे-धीरे, दीपक ने उसकी कोमल त्वचा को अपने होंठों से छुआ, उसके शरीर के हर नाज़ुक हिस्से को प्यार से सहलाया। रिद्धिमा की सांसें और तेज़ हो गईं, उसका दिल धड़क उठा।



उनके स्पर्शों में न सिर्फ़ शारीरिक गर्माहट थी, बल्कि एक ऐसा प्यार था जो शब्दों से परे था। एक ऐसा रिश्ता जो सिर्फ़ दिलों से जुड़ता था।

रिद्धिमा ने अपने हाथ उसकी कमर पर रखे, उसे अपने करीब खींचा और दोनों की सांसें आपस में मिल गईं। वह पल था जब कोई और दुनिया नहीं, सिर्फ़ वे दोनों थे और उनका प्यार।

“तुम्हारे साथ ये पल हर दर्द को भूलने जैसा है,” दीपक ने धीरे से कहा।

रात की चाँदनी उनके प्यार के इस जादू को सुनहरी आभा में लपेट रही थी। कमरे की हर दीवार उनके कोमल स्पर्शों, उनके हँसी के पलों, और उनकी जुबां की मीठी फुसफुसाहट की गवाह थी।



धीरे-धीरे वे दोनों एक-दूसरे के गले लग गए, अपनी त्वचा की गर्माहट को महसूस करते हुए, और दिल की हर धड़कन को एक संग जोड़ते हुए।

दीपक ने अपनी हथेलियों को उसकी पीठ से नीचे ले जाकर धीरे-धीरे सहलाया, हर स्पर्श में अपना प्यार समेटे। रिद्धिमा ने अपने हाथों से उसकी छाती को पकड़ा, उस प्रेम को महसूस करते हुए जो उनके बीच बह रहा था।

वे दोनों बिना किसी शब्द के, बिना किसी हड़बड़ी के एक-दूसरे के साथ खो गए। यह पल था — प्यार और चाहत का, जो एक दूसरे में समा गया।

रिद्धिमा ने दीपक की आँखों में देखा और मुस्कुराई, उस मुस्कान में सारी दुनिया की मिठास थी। दीपक ने भी उसी मुस्कान के साथ उसे प्यार से देखा, और उनकी आत्माएं गहराई से जुड़ गईं।



यह नज़दीकी थी, जो सिर्फ देह तक सीमित नहीं थी, बल्कि रूह तक उतर रही थी। एक ऐसा प्यार जो हर दिन और गहरा होता जा रहा था।

वे एक-दूसरे के साथ बिना कोई डर, बिना कोई शर्त, पूरी ईमानदारी से जुड़े हुए थे। और उसी प्यार की गर्माहट में, दोनों ने धीरे-धीरे अपनी आँखें बंद कीं।

रात की चुप्पी में, उनके दिलों की धड़कनें एक ताल में गूंज रही थीं — एक प्रेम कहानी की सबसे खूबसूरत शुरुआत।

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